रोटी
रोटी
(दोहे)
रोटी खातिर आज सब , दौड़ रहे हैं लोग ।
कोई तड़पे भूख से, कोई छप्पन भोग।।
देख धरा के हाल को, क्या होगा भगवान ।
भूख मिटाने आदमी, बन बैठा शैतान ।।
काम करो सब प्रेम से, तभी बनेगी बात।
कड़वाहट जो घोल दे, वो खायेगा लात।।
धरती माता को कभी, मत बाँटो इंसान ।
अन्न उगाओ खेत में, तभी बचेगी जान।।
माटी के सब पूत हैं, कर लो ऐसे काम।
याद करे सब आदमी, रहे जगत में नाम।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
(दोहे)
रोटी खातिर आज सब , दौड़ रहे हैं लोग ।
कोई तड़पे भूख से, कोई छप्पन भोग।।
देख धरा के हाल को, क्या होगा भगवान ।
भूख मिटाने आदमी, बन बैठा शैतान ।।
काम करो सब प्रेम से, तभी बनेगी बात।
कड़वाहट जो घोल दे, वो खायेगा लात।।
धरती माता को कभी, मत बाँटो इंसान ।
अन्न उगाओ खेत में, तभी बचेगी जान।।
माटी के सब पूत हैं, कर लो ऐसे काम।
याद करे सब आदमी, रहे जगत में नाम।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
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