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जीवन

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जीवन व्यर्थ गँवाओ मत इसे, जीवन है अनमोल । झूठ कपट सब त्याग कर, सदा सत्य तू बोल।। दया धर्म करते रहो, ये जीवन का सार। चलो सत्य के मार्ग पर,  बाकी सब बेकार।। जीवन का है चार दिन,  हँस कर जीना सीख। करो मेहनत रोज के, कभी न माँगो भीख।। कभी धूप तो छाँव है , जीवन की ये रीत। घबराना मत दुःख में,  जायेगा सब बीत।। माटी बोले प्रेम से, कर लो ऐसे काम। याद करे सब लोग जी, रह जायेगा नाम।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati 

रोटी

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रोटी (दोहे) रोटी खातिर आज सब , दौड़ रहे हैं लोग । कोई तड़पे भूख से, कोई छप्पन भोग।। देख धरा के हाल को, क्या होगा भगवान । भूख मिटाने आदमी,  बन बैठा शैतान ।। काम करो सब प्रेम से,  तभी बनेगी बात। कड़वाहट जो घोल दे, वो खायेगा लात।। धरती माता को कभी,  मत बाँटो इंसान । अन्न उगाओ खेत में,  तभी बचेगी जान।। माटी के सब पूत हैं,  कर लो ऐसे काम। याद करे सब आदमी,  रहे जगत में नाम।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353

नया सवेरा

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माटी के महक नया सवेरा (दोहा) नया सवेरा आ गया, जाग उठो इंसान । स्वागत कर लो भोर का, नहीं बनो शैतान ।। खिली हुई है बाग में,  कलियाँ चारों ओर । चिड़िया चहके नीड़ में, मचा रही है शोर।। टन टन घंटी बज रही, मंदिर जाते लोग । पूजा करते प्रेम से,  लेकर छप्पन भोग।। कोरोना अब दूर हो, माँगे सब वरदान । संकट सबके टाल दो, दया करो भगवान ।। माटी को अब चूमकर, "माटी" तिलक लगाय। इस माटी से प्रेम है, प्राण इसी में जाय।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़