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सावन झूला उत्सव गीत

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(11)   साक्षी साहू सुरभि                गीत       सावन में झूलों का उत्सव,                खुशियाँ लेकर आया है। सावन में झूलों का उत्सव,       खुशियाँ लेकर आया है। तन-मन में उठी हिलोरें       अंतर्मन भी हरषाया है। सावन की बौछार पड़ी धरती पर,        पड़ गये झूलें अमरैया में। बरखा की बूँदें मोती सा चमके,       सौंधी महक उड़ने लगी पुरवैया में। अमरैया की डाली में बैठ कर          कोयल ने गीत सुनाया है सावन में......... सावन की उन्मत्त बहारें,          सजना की याद दिलाये मन मयूर उमंग में नाचे          गीत प्रेम के गाये परदेशी सजन आज          लौट कर घर आया है सावन........... पावस की रिमझिम फुहारें,        प्रीत मन में जगाये जीवन की बगिया में,          प्रेम के पुष्प खिलाये संग पिया के सावन झूला          झूलकर मन आज बौराया है सावन में झूलों का उत्सव              खुशियाँ लेकर आया है। साक्षी साहू सुरभि महासमुंद छत्तीसगढ़ ****************************** ****** (12)   साधना मिश्र की गीत सावन में झूलों का उत्सव खुशियाँ लेकर आया है रजत बूँद की बारातों ने तन-मन को हर्षाया है। उजले कपसीले बा

सावन में झूलों का उत्सव

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(1) सावन में झूलों का उत्सव (ताटंक छंद) बादल गरजे आसमान में, सबके मन हर्षाया है। सावन में झूलों का उत्सव,  खुशियाँ लेकर आया है ।। चमचम चमके बिजली रानी,  बादल शोर मचाते हैं । इन्द्रधनुष की छटा निराली, सातों रंग सजाते हैं ।। इन्द्र देव भी खुश होकर के, पानी अब बरसाया है। सावन में झूलों का उत्सव,  खुशियाँ लेकर आया है ।। रंग बिरंगे फूल देखकर,  तितली भी इठलाती है। जैसी कोई नई नवेली, प्रियतम से शर्माती है ।। फूलों की खुशबू को पाकर,  भौंरा गाने गाया है। सावन में झूलों का उत्सव,  खुशियाँ लेकर आया है ।। झूला झूले सखी सहेली,  रस्सी बाँधे डालों में । सजी हुई हैं परियाँ जैसी,  महके गजरा बालों में ।। माटी की सौंधी खुशबू ने, मन उमंग भर लाया है । सावन में झूलों का उत्सव,  खुशियाँ लेकर आया है ।। राह तकूँ मैं पल पल अब तो,  सपना तुने दिखाई है। भूल गई क्यों वादा करके, कसमें तू जो खाई है ।। सपनों की दुनियाँ में "माटी" , कितने रंग सजाया है । सावन में झूलों का उत्सव,  खुशियाँ लेकर आया है ।। तू महलों की रानी बेबी, मैं कुटिया का राजा हूँ । सप्त स्वरों की तू सरगम है, मैं तो ढोलक बाजा हूँ ।