बाबा बुला रहे हैं






बाबा बुला रहे हैं
(आल्हा छंद)

आया सावन महिना भक्तों , जपो प्रेम से शिव का नाम।
बाबा बुला रहे हैं देखो , काँवरिया को अपने धाम।।

रिमझिम रिमझिम पानी बरसे , भक्त लगाये जय जयकार।
भक्तों की टोली हैं निकली , सुन ले बाबा आज पुकार।।
रहे सुखी सब प्राणी अब तो , बने सभी के बिगड़ी काम।
बाबा बुला रहे हैं देखो , काँवरिया को अपने धाम।।

काँवरिया सब पैदल चलते , पड़ते हैं पांवो में छाल।
नहीं कभी परवाह करे वह , करे न कोई बांका बाल।।
हर हर बम बम गाते जाते , लेते हैं सब शिव का नाम।
बाबा बुला रहे हैं देखो , काँवरिया को अपने धाम।।

झूमे नाचे मस्ती में सब , बाबा का लेकर के नाम।
जो भी पूजे सच्चे दिल से , बन जाते हैं बिगड़ी काम।।
औघड़ दानी शिव भोला है , सुबह शाम सब करो प्रणाम।
बाबा बुला रहे हैं देखो , काँवरिया को अपने धाम।।

केशरिया का बाना पहने , जाते हैं बाबा के द्वार।
काँधे मे गंगा जल लेकर , करते हैं सब जय जयकार।।
कोरोना से तारो बाबा , करते हैं हम तुम्हे प्रणाम।
बाबा बुला रहे हैं देखो , काँवरिया को अपने धाम।।

आया संकट जग में बाबा , अब तो उसको देवें तार।
बीमारी सब दूर भगाओ , कोरोना को पल में मार।।
भक्त सभी अब द्वार खड़े हैं , पूजा करके आठों याम।
बाबा बुला रहे हैं देखो , काँवरिया को अपने धाम।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़

Mahendra Dewangan Mati

मात्रा -- 16 + 15 = 31
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