प्रेम का नाता जोड़ो
प्रेम का नाता जोड़ो
ढूँढ रहे सब इधर उधर ,
सुख कैसे आ पायेगा।
भटक गया है राह मानव,
दुख कैसे अब जायेगा।।
बीत गया है पूरा जीवन,
पद पैसे की चाह में ।
अब अफसोस क्या होगा ?
अँधी दौड़ की राह में ।।
माया की लालच में फँसकर,
रिश्ते नाते भूल गये ।
आँख खुली तो पता चला,
घर परिवार दूर गये।।
किस लालच में फँसकर तूने,
इतना धन कमाया है।
साथ दिया न कोई नाता,
जब मुसीबत आया है ।।
सँभल जाओ अब वक्त रहते,
माया की लालच छोड़ो ।
मिल जुलकर रहना सीखो,
सबसे प्रेम का नाता जोड़ो ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
ढूँढ रहे सब इधर उधर ,
सुख कैसे आ पायेगा।
भटक गया है राह मानव,
दुख कैसे अब जायेगा।।
बीत गया है पूरा जीवन,
पद पैसे की चाह में ।
अब अफसोस क्या होगा ?
अँधी दौड़ की राह में ।।
माया की लालच में फँसकर,
रिश्ते नाते भूल गये ।
आँख खुली तो पता चला,
घर परिवार दूर गये।।
किस लालच में फँसकर तूने,
इतना धन कमाया है।
साथ दिया न कोई नाता,
जब मुसीबत आया है ।।
सँभल जाओ अब वक्त रहते,
माया की लालच छोड़ो ।
मिल जुलकर रहना सीखो,
सबसे प्रेम का नाता जोड़ो ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
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