स्वदेशी अपनाओ
स्वदेशी अपनाओ
अपनी धरती अपनी माटी, इसको स्वर्ग बनाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब , स्वदेशी अपनाओ ।।
माल चाइना लेना छोड़ो, देता है वह धोखा ।
चले नहीं वह दो दिन भी जी, हो जाता है खोखा।।
ऐसे धोखेबाजों को तो, सबक सभी सीखाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब , स्वदेशी अपनाओ ।।
नहीं किसी से डरते हैं हम, हम हैं भारतवासी।
आँख दिखाये हमको जो भी, होगा सत्यानाशी।।
नहीं चलेगा राग विदेशी, वंदे मातरम गाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब, स्वदेशी अपनाओ ।।
एप्प चाइना को सब छोड़ो, भारत का अपनाओ।
नये नये तकनीक यहाँ भी, पैसा यहीं बचाओ।।
करो घमंडी का सिर नीचा, उसको अभी झुकाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब, स्वदेशी अपनाओ ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
अपनी धरती अपनी माटी, इसको स्वर्ग बनाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब , स्वदेशी अपनाओ ।।
माल चाइना लेना छोड़ो, देता है वह धोखा ।
चले नहीं वह दो दिन भी जी, हो जाता है खोखा।।
ऐसे धोखेबाजों को तो, सबक सभी सीखाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब , स्वदेशी अपनाओ ।।
नहीं किसी से डरते हैं हम, हम हैं भारतवासी।
आँख दिखाये हमको जो भी, होगा सत्यानाशी।।
नहीं चलेगा राग विदेशी, वंदे मातरम गाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब, स्वदेशी अपनाओ ।।
एप्प चाइना को सब छोड़ो, भारत का अपनाओ।
नये नये तकनीक यहाँ भी, पैसा यहीं बचाओ।।
करो घमंडी का सिर नीचा, उसको अभी झुकाओ।
छोड़ विदेशी मालों को अब, स्वदेशी अपनाओ ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
प्रभावशाली लेखन। देशभक्ति का यह स्वरूप निराला व अनुकरणीय है।
ReplyDeleteThank you Sinha ji
Deleteअति सुंदर
Deleteधन्यवाद
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