मुर्गा बाँग लगाता है
मुर्गा बाँग लगाता है
नई सुबह की नई किरण में , वह सन्देशा लाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
सूरज दादा से पहले वह , सो कर के उठ जाता है।
मुंडेरों पर चढ़ कर के वह , जोर जोर चिल्लाता है।।
साथ लिये परिवार जनों को , रोज घुमाने जाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
दड़बे का वह राजा होता , सब पर हुकुम चलाता है।
कोई चूजा आँख दिखाये , उस पर रौब जमता है।।
सुबह शाम अपने डेरे का , फेरा रोज लगाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
कभी नही आराम करे वह , दिन भर दौड़ लगाता है।
कुकडू कूँ आवाज लगाकर , बड़े मजे से गाता है।।
देखे बच्चे खुश हो जाते , सबका मन बहलाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
मेरी मुर्गी एक टाँग की , किसने इसे बनाया है।
राजा के सिर पर है कलगी , किसने इसे सजाया है।।
करे मेहनत मुर्गा भैया , फकीर अंडा खाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
MAHENDRADEWANGANMATI
नई सुबह की नई किरण में , वह सन्देशा लाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
सूरज दादा से पहले वह , सो कर के उठ जाता है।
मुंडेरों पर चढ़ कर के वह , जोर जोर चिल्लाता है।।
साथ लिये परिवार जनों को , रोज घुमाने जाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
दड़बे का वह राजा होता , सब पर हुकुम चलाता है।
कोई चूजा आँख दिखाये , उस पर रौब जमता है।।
सुबह शाम अपने डेरे का , फेरा रोज लगाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
कभी नही आराम करे वह , दिन भर दौड़ लगाता है।
कुकडू कूँ आवाज लगाकर , बड़े मजे से गाता है।।
देखे बच्चे खुश हो जाते , सबका मन बहलाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
मेरी मुर्गी एक टाँग की , किसने इसे बनाया है।
राजा के सिर पर है कलगी , किसने इसे सजाया है।।
करे मेहनत मुर्गा भैया , फकीर अंडा खाता है।
जागो प्यारे आँखे खोलो , मुर्गा बाँग लगाता है।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
MAHENDRADEWANGANMATI
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (११-०७-२०२०) को 'बुद्धिजीवी' (चर्चा अंक- ३५६९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
धन्यवाद मैडम जी
Deleteबहुत सुंदर बाल-कविता.,र।
ReplyDeleteThank you ji
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteThank you Anuradha Ji
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी
Deleteवाह! बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसुंदर बाल कविता।
धन्यवाद महोदय
Deleteबहुत सुंदर भैया जी
ReplyDeleteधन्यवाद निषाद जी
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