जीवन





जीवन

व्यर्थ गँवाओ मत इसे, जीवन है अनमोल ।
झूठ कपट सब त्याग कर, सदा सत्य तू बोल।।

दया धर्म करते रहो, ये जीवन का सार।
चलो सत्य के मार्ग पर,  बाकी सब बेकार।।

जीवन का है चार दिन,  हँस कर जीना सीख।
करो मेहनत रोज के, कभी न माँगो भीख।।

कभी धूप तो छाँव है , जीवन की ये रीत।
घबराना मत दुःख में,  जायेगा सब बीत।।

माटी बोले प्रेम से, कर लो ऐसे काम।
याद करे सब लोग जी, रह जायेगा नाम।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़

Mahendra Dewangan Mati 

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